योग एवं मानसिक स्वास्थ्य - M.A. Yog Paper 1st Semester 4th Complete Notes

योग एवं मानसिक स्वास्थ्य - M.A. Yog Paper 1st Semester 4th Complete Notes




                     योग एवं मानसिक स्वास्थ्य

इकाई 1 

Q.1. मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ बतलाते हुए , मासिक रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति की विशेषताएं एवं प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें|
Answer-:मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य वैसे अधिगमित व्यवहार से होता है जो सामाजिक रूप से अनुकूली होते हैं एवं जो व्यक्ति को अपनी जिन्दगी के साथ पर्याप्त रूप से सामना करने की अनुमति देता है।दूसरे शब्दों में मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति की उस स्थिति की व्याख्या है जिसमें वह समाज स्वयं के जीवन की परिस्थितियों से निबटने के लिए, आवश्यकता अनुरूप स्वयं को ढालने हेतु व्यवहारों को सीखता है।
पी.वी. ल्यूकन लिखते हैं कि-: मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति वह है जो स्वयं सुखी है, अपने पड़ोसियों के साथ शातिपूर्वक रहता है, अपने बच्चों को स्वस्थ नागरिक बनाता है और इन आधारभूत कर्तव्यों को करने के बाद भी जिसमें इतनी शक्ति बच जाती है कि वह समाज के हित में कुछ कर सके।
एक अन्य मनोवैज्ञानिक कार्ल मेन्निंगर (1945) के अनुसार-:मानसिक स्वास्थ्य अधिकतम प्रसन्नता तथा प्रभावशीलता के साथ संसार एवं प्रत्येक दूसरे व्यक्ति के प्रति मानवों द्वारा किया जाने वाला समायोजन है|
प्रसिद्ध विद्वान हारविज और स्कीड ने अपनी पुस्तक अप्रोच टू मेंटल हेल्थ एण्ड इलनेस में मानसिक स्वास्थ्य को परिभाषित करते हुए बताया है कि इसमें कई आयाम जुड़े हुए हैं-:आत्म सम्मान, अपनी अंत: शक्तियों का अनुभव, सार्थक एवं उत्तम सम्बन्ध बनाए रखने की क्षमता एवं मनोवैज्ञानिक श्रेश्ठता।’|

मनोवैज्ञानिकों की दृष्टि में मानसिक स्वास्थ्य

  1. मनोगत्यात्मक दृष्टि
  2. व्यवहारवादी दृष्टि
  3. मानवतावादी दृष्टि
  4. संज्ञानात्मक दृष्टि

यौगिक दृष्टि में मानसिक स्वास्थ्य

योग शास्त्रों में आधुनिक मनोविज्ञान की विभिन्न विचारधाराओं के समान मानसिक स्वास्थ्य के संप्रत्यय का विचार स्वतंत्र रूप से कहीं भी विवेचित अथवा प्रतिपादित नहीं हुआ है। क्योंकि यहॉं व्यक्ति को समग्रता में देखने की परंपरा रही है। आधुनिक मनोविज्ञान में व्यक्ति के अस्तित्व को जहॉं मन से जोड़कर देखा जाता रहा है वहीं योग की भारतीय विचारधारा में व्यक्ति का अस्तित्व आत्मा पर आधारित माना गया है। यहॉं मान का अस्तित्व आत्मा के उपकरण से अधिक कुछ भी नहीं है। जीवन का चरम लक्ष्य यहॉं अपने वास्तविक स्वरूप आत्म तत्व की उपलब्धि है। इसी को मोक्ष, निर्वाण, मुक्ति, आत्मसाक्षात्कार जैसी बहुत सी संज्ञाओं से विवेचित किया गया है। यौगिक दृष्टि से यही स्थिति व्यक्ति के अस्तित्व की पूर्णावस्था है, इसी अवस्था में व्यक्ति को मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ कहा जा सकता है।

मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की विशेषताएँ

1.      उच्च आत्म-सम्मान
2.      आत्म-बोध होना
3.      स्व-मूल्यॉंकन की प्रवृत्ति
4.      सुरक्षित होने का भाव होना
5.      संतुष्टि प्रदायक संबंध बनाने की क्षमता
6.      दैहिक इच्छाओं की संतुष्टि
7.      प्रसन्न रहने एवं उत्पादकता की क्षमता
8.      बढ़िया शारीरिक स्वास्थ्य
9.      तनाव एवं अतिसंवेदनशीलता का अभाव
10.  वास्तविक प्रत्यक्षण की क्षमता
11.  जीवन दर्शन स्पष्टता होना
12.  स्पष्ट जीवन लक्ष्य होना
13.  सकारात्मक चिंतन
15 ईश्वर विश्वास
16 दूसरों से अपेक्षाओं का अभाव


सभी इकाइयों के प्रश्न


मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत बनाने के उपाय

मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप के मॉडल

विभिन्न प्रसामान्यक, असामान्यता के प्रारूपों का संक्षिप्त परिचय 

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